Friday 28 April 2017

भटकाव !



भटक रहा हूँ ,
अंदर से चटक रहा हूँ ,
तुमको लगता है पागल सा हूँ ,
तो ठीक ही होगा
कोई पुरानी लीक ही होगा
तुम्हारा ये लगना
खुद को ही ठगना
ये तो सच है ही मेरा अलगाव सपनों से ,
मेरा भटकाव अपनों से ,
किंतु तुम बंदी नहीं आज़ाद हो
उड़ सकते हो
नही !! उड़ना नहीं !!
नहीं आज़ादी बेहतर है …
रुख़ उत्तर है
खुले आसमां पे ख़ुश होकर उड़ो ||

#thoughtful_anil

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