Friday 28 April 2017

उमस


हम और हमारे -अपने,
कुछ अवशेष , अधजले सपने ……
शान्त-निरंतर-उमस गाँव में..
छाले पड़ गए शहर-छाँव में ..
अमन के पंछी प्यासे मर गए..
फ़सल चमन की नेता चर गए..
सूख गए तालाब और नदियाँ ..
मुआवजे को लगेंगी सदियाँ..

#thoughtful_anil

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