हम तो खुद मिटने चले हैं ………
हमें क्या मिटायेगा खुदा ………??..
कभी फुरसत में बैठ के लिखूँगा हज़ार किस्से,
अभी वक्त की गुजारिश है ,
कि हम खामोश ही रहें……
जल्दी जल्दी लौट चलो ,यहाँ तेज धूप है .
जलती धरनी-प्यासे प्राणी ,
देखो ये प्रकृति का विकराल रूप है .
हर बार प्यार न मिलता है , सहज-सरल ही अपनों
से ||
दूर कहीं गहरे पानी में ,
मोती मिलते हैं यत्नों से ||
चलो चलें इस बार संघर्ष करें …
कुछ अपनों से ……
कुछ सपनों से………
कोई एक था कारण…
और नफ़रत सब के लिये हो गई ||
कुछ झूठे वादे ,दिल के पार हो गये ||
रेत के घरोंदे ,अब आकार हो गये ||
मोहब्बत जिससे की,झूठी न
की,अनिल
सब बेवफ़ा थे अपने,हम तार-तार हो गये ||
जय भारत ,
तू जन-जन में ,
तू हर मन में,
तू ही कर्म हमारा ,
तू ही धर्म हमारा ,
तू वर्तमान है तू अतीत …
तुझपे ही सारा है जीवन
व्यतीत.
मोहब्बत तू मेरी,
इबादत तू मेरी ,
धूप में-छाँव में ,
हर शहर-गाँव में…
भारत है
जय भारत ,जय-जय भारत…
मोहब्बत चेहरों से करना ,अब छोड़ दी हमने ||
झूठे अपनों की लड़ी ,अब तोड़
दी हमने ||
इन दोरंगों से अच्छा तो तिरँगा है ,अनिल
सूरतों को छोड़ ,अब मोहब्बत वतन से जोड़ दी हमने ||
राधा की आंखो का आँसू,मीरा का अनुराग
तुम |
चराचर की मूल आत्मा,हर जीवन का
भाग तुम |
प्रेम-मुहब्बत-इश्कमिज़ाजी ,सब तुमसे
ही सीखा है ,
हारे हुए पथिक की अनिल ,आशाओं की
आग तुम ||
खुद को तुम तैयार करो , फ़ौलादों से टकराना है ||
लाशों पर जो महल खड़े हैं ,उनको आज गिराना है ||
हमने भी सीखे हैं तज़ुर्बे नये-नये ,
सपने से जागकर ,यूँ मुस्कुरा दिया ।।
बहुत हो गया अंधेरों का राज ,अब मार्तंड हँसेगा ।।
कुर्सी पे अब तेरी कोलाहल प्रचंड
हँसेगा।।
पथराई आँखों से वो त्योहार ढूँढ़ता है,
ग़रीब है वो कचरे में अपने उपहार ढूँढ़ता है।।
इक मुहब्बत अपनी और इक तेरी
मिलाते हैं ।
चलो हम इस तरह कुछ ज़िंदगी बनाते हैं ।।
कभी कोई शिकायत हो तो इत्तला कर देना हमें ,
यूँ खामोशी से चले जाना अच्छा नहीं
लगता ।।
अभी हम ढूँढ़ रहे हैं उनको और वो ग़ायब से हैं ,
वादा है कल वो तलाशेंगे हमें और हम नदारद होंगे ।।
बूढ़ी परंपराओं ने जलाये हैं घूरों पर भी
दीये ,
ये नई पीढ़ी है जो
चीनी रोशनी से जगमगा
रही है।
बहुत आसान है …
कानों को ढककर , मुँह को सिलकर
आँखों पे चश्मा चढा लेना…
ज़िंदादिली आजकल बस online होती
है…
वो इसलिए नहीं बिके कि,
उन्हें कोई खरीददार न मिला ।।
ना जाने क्या बात है …
कि लोग भूल जाते हैं हस्ती अपनी ,
तू जरा ऐहतियात बरत …
पँख ताउम्र नहीं रहते ।
एक वक्त से हमें वो तालीम न मिली।
गाँव के आँगन में पुरानी नीम न
मिली।
गुलाबी गांधी की चकाचौंध में
बिखर गईं जिन्दगियाँ कितनी…
काले-काले के शोर ने बहरा बना दिया।।
चारों दीवारें देखीं ,
छत भी देखा…
इस अंधी नगरी का
मगर दरवाज़ा न दिखा…
मैं समझता हूँ…
जिन्हें मोहब्बत की फ़ुर्सत नहीं वो
मोहब्बत के काबिल नहीं…
दिल पे ना लिया कर दुनिया की बात को ||
दीपक बुझाये गये हैं अंधेरी रात को ||
न मोहब्बत का कुछ पता है , न खुशियों की कुछ
खबर ||
या तो बहक गया हूँ , या फ़िर जख्मों का है असर ||
इक तरफ़ रंग है , पिचकारी और गुलाल है ||
इक तरफ़ आँसू है ,चिंता और सवाल है ||
मैं धीर भी ,
अधीर भी…
दरिया न समझे फर्क क्या ?
पत्थरों से तर्क क्या ??
सुर की पवित्र कलकलों में बहता ~~
मैं पवित्र नीर ही…
मैं धीर भी -अधीर
भी…
ये तो चेहरों से मोहब्बत करने का नतीजा है … कि
अश्क मिले
वरना कर्तव्यों और कर्मों से मुहब्बत तो जिन्दगी
भर की जा सकती है…
सब बर्बाद कर गए ।।
इस तरह वो अपने घर गए ।।
हमें रूठने पे मनाया न गया ,अनिल
आख़िर जख्म हमारे अपने आप भर गए ।।
तुम्हारे होठों से निकली दुआओं से ज़िंदा हूँ ||
हवायें पर तोड़ें या उड़ा ले जाएँ मुझे ;
मैं तो हवाओं का ,हवाओं से परिंदा हूँ ||
झिलमिल - झिलमिल बात पर चेहरा किताबी आज
भी है ||
वो जमाना याद कर आँखें शराबी आज भी
हैं ||
दोस्तों ने रंग लगाया था कभी जो गाल पर ,
वो गाल की नाज़ुक त्वचा गुलाबी आज
भी है ||
मंच
कोटिक प्रपंच हैं ,
चारों ओर मंच है ,
मंच है मसान सा ,
झूठे प्रमाण सा ।।
किसी से कुछ कहना भी गुनाह है ||
मैने तन्हाइयों को बहुत कुछ कहते सुना है ||
बिखरे हुए मोती को समेटो तो खुशी
होती है ,
हमने तो रेत से सीपी को चुना है ||
तेरे बिन ये महल श्मसान लगे , घर न लगे !
तन्हा -तन्हा ये शहर सुनसान लगे , शहर न लगे !
यूँ भी कह दो कि मेरे साथ हो तुम ,अनिल
ज़िंदगी का सफ़र आसान लगे , डर न लगे !!
वो बातों को ऐसे हवा करते हैं
कुछ लोग पहले दगा करते हैं
फ़िर दवा करते हैं …
काँटों से फूल बनाये हमने ।।
जीवन के ऐसे उसूल बनाये हमने ।।
चट्टान से घिस माथा पसीने से तरबतर ,
पीस पीस पत्थर धूल बनाए हमने ।।
तारीफें बहुत हुईं कि मिज़ाज ना बदले ||
और मिज़ाज बदले तो वो आज ना बदले ||
लेकिन आज भी बदले और मिज़ाज भी
बदले,
है शुक्र इतना कि जो दिल में थे मेरे वो राज ना बदले ||
#thoughtful_anil
धन्यवाद !!