Friday 28 April 2017

हलचल !!



तुम सुन सको तो सुनो ,
हमेशा साथ चल सको तो चुनो ,
तो चुनो राहें अदीब कीं ,
तो सुनो आहें गरीब कीं ,
सुनके चुप रहना नहीं है ,
और कुछ कहना नहीं हैं ,
झड़ रहे मासूम पत्ते तेज़ लपटो में यहाँ ,
गर्दिश खमोश है हलचलें गुम हैं कहाँ
हलचलें गुम हैं कहाँ ??


#thoughtful_anil

हकीकत…


चंद ख्वाब लेके निकला था
सफ़र में ,
हक़ीक़त ने आसमां को,
बंजर बना दिया ।
फूलों को तीखा -बहुत तीखा,
खंजर बना दिया।
फूल रोते रहे …रोते रहे
हम तुम सोते रहे …सोते रहे …
खेद इसका नहीं,
कि क्या खो गया …
है इसका …
ज़माने को क्या हो गया ,
साथ मेरे रहीं…
दर्द मुझसे कहीं…
सिसकियाँ उसकी
हिचकियाँ उसकी
वो खिलखिलाहट का महल ,
जो ढह सा गया …
हर आँसू…
जो चुपचाप बह सा गया…
बेशरम ,हिसाब तुझे देना ही होगा …
हिसाब!!! हिसाब!!! हिसाब!!!

#thoughtful_anil

सुन रहा हूँ…

सुन रहा हूँ…
है प्रहार साँच पर ,
पत्तियाँ हैं आँच पर …
बन मृदंग काँच पर
पैर छिल रहे हैं
मंज़िलों को मिल रहें हैं
रास्तों को सिल रहे हैं
हाँथ बेतरतीब से
या की बहुत तरकीब से
व्यर्थ क्या है ? रंग-हिना है
नफ़रतों की फ़ौज में ,
मैने अपनों को सुना है …
सुन रहा हूँ…
चुन रहा हूँ…
खुद ही राहें बुन रहा हूँ…


#thoughtful_anil

कुछ विचार करते हैं


कुछ विचार करते हैं ,
बिन विचारों के.
शायद सूखा पड़ गया है
बाहर की तरह.…
अंदर भी.
सबकुछ रुखा पड़ गया है
अजीब सी शांति है
इन आधुनिक गाँवो में .
सब पलायन कर गये ……
कुछ भूख मिटाने को
कुछ चार पैसे कमाने को .
सरकारें दोनों तरफ़ खामोश हैं…
तमाशबीन हैं…
तमाशा बन रहा है बनता रहेगा
आपकी खमोशी तक…
खुद की बेहोशी तक…


#thoughtful_anil


उमस


हम और हमारे -अपने,
कुछ अवशेष , अधजले सपने ……
शान्त-निरंतर-उमस गाँव में..
छाले पड़ गए शहर-छाँव में ..
अमन के पंछी प्यासे मर गए..
फ़सल चमन की नेता चर गए..
सूख गए तालाब और नदियाँ ..
मुआवजे को लगेंगी सदियाँ..

#thoughtful_anil

भटकाव !



भटक रहा हूँ ,
अंदर से चटक रहा हूँ ,
तुमको लगता है पागल सा हूँ ,
तो ठीक ही होगा
कोई पुरानी लीक ही होगा
तुम्हारा ये लगना
खुद को ही ठगना
ये तो सच है ही मेरा अलगाव सपनों से ,
मेरा भटकाव अपनों से ,
किंतु तुम बंदी नहीं आज़ाद हो
उड़ सकते हो
नही !! उड़ना नहीं !!
नहीं आज़ादी बेहतर है …
रुख़ उत्तर है
खुले आसमां पे ख़ुश होकर उड़ो ||

#thoughtful_anil

चलो चलते हैं…



चलो चलते हैं चलो चलते हैं |
इस धरा के काले बादल को ,
चलो पैरों से कुचलते हैं |
चलो… ||
कदम कदम बढ़ाने से , तय लम्बे रास्ते होते हैं |
जो हारे हों तन से मन से, वे लोग ही सस्ते होते हैं
|
महायुद्ध -संग्राम छिड़ा ,इस जीवन का
जीवन-लय से ;
जो हँसा सके इसमें गैरों को ,वे लोग फरिश्ते होते हैं |
चलो नई सुबह इक लाने को ,हम शम्मअ की तरह
जलते हैं …
चलो चलते हैं चलो चलते हैं ……

#thoughtful_anil

आँसू हैं चुप !


आँसू मेरे मुझसे हैं चुप ,
होंठों को कोई शिकवा नहीं ।।
तुम ग़र सुनो या न सुनो ,
ग़म ये मेरा फ़तवा नहीं ।।
ज़िंदा हूँ मैं , मायूस सा ,
या फिर कहूँ कि ज़िंदा नहीं ।।
पर हैं कटे ,यूँ अटपटे
पंखों के बिन मैं परिंदा नहीं ।।
मुझको तबाह करके यहाँ ,
गये हो कहाँ जाने जहाँ ।।
पत्तों की खड़खड़ दिल में चुभे ,
काटे ये मुझको दिलकश समां ।।
राहें मेरी खो सी गईं ,
रहबर मेरा है मुझसे जुदा ||
खुद से लड़ूँ तन्हा कभी
होकर खफा कभी तुझसे खुदा ।।


#thoughtful_anil

आग



एक धरातल
चार रंग के फूल उगाता
चारों के काँटे फ़िर लड़ते
छलनी करते
फूलों का दिल
पौधे बेचारे काँप से जाते
काँप से जाते
आगामी कोहरा भाँप से जाते
आग लगेगी जंगल में
नहीं !! नहीं !! आग !!
नहीं !!
सब जल जायेगा !
सिर्फ राख का ढेर …
बंजर धरातल रह जायेगा !!


#thoughtful_anil

Thursday 27 April 2017

बिखरे मोती…(मुक्तक)


ताउम्र उसके आने का इंतज़ार रहा ||
न चाहती थी वो हमें फ़िर भी प्यार रहा ||
जन्नत में मिलेगी तो पूछूँगा क्या बेगाना था , अनिल
जो उम्र भर उससे खफा संसार रहा ||



भाग्य से संघर्षरत
है ज़िंदगी भी तयशुदा ,
हम तो खुद मिटने चले हैं ………
हमें क्या मिटायेगा खुदा ………??..


कभी फुरसत में बैठ के लिखूँगा हज़ार किस्से,
अभी वक्त की गुजारिश है ,
कि हम खामोश ही रहें……


जल्दी जल्दी लौट चलो ,यहाँ तेज धूप है .
जलती धरनी-प्यासे प्राणी ,
देखो ये प्रकृति का विकराल रूप है .


हर बार प्यार न मिलता है , सहज-सरल ही अपनों
से ||
दूर कहीं गहरे पानी में ,
मोती मिलते हैं यत्नों से ||
चलो चलें इस बार संघर्ष करें …
कुछ अपनों से ……
कुछ सपनों से………



कोई एक था कारण…
और नफ़रत सब के लिये हो गई ||



कुछ झूठे वादे ,दिल के पार हो गये ||
रेत के घरोंदे ,अब आकार हो गये ||
मोहब्बत जिससे की,झूठी न
की,अनिल
सब बेवफ़ा थे अपने,हम तार-तार हो गये ||



जय भारत ,
तू जन-जन में ,
तू हर मन में,
तू ही कर्म हमारा ,
तू ही धर्म हमारा ,
तू वर्तमान है तू अतीत …
तुझपे ही सारा है जीवन
व्यतीत.
मोहब्बत तू मेरी,
इबादत तू मेरी ,
धूप में-छाँव में ,
हर शहर-गाँव में…
भारत है
जय भारत ,जय-जय भारत…



मोहब्बत चेहरों से करना ,अब छोड़ दी हमने ||
झूठे अपनों की लड़ी ,अब तोड़
दी हमने ||
इन दोरंगों से अच्छा तो तिरँगा है ,अनिल
सूरतों को छोड़ ,अब मोहब्बत वतन से जोड़ दी हमने ||



राधा की आंखो का आँसू,मीरा का अनुराग
तुम |
चराचर की मूल आत्मा,हर जीवन का
भाग तुम |
प्रेम-मुहब्बत-इश्कमिज़ाजी ,सब तुमसे
ही सीखा है ,
हारे हुए पथिक की अनिल ,आशाओं की
आग तुम ||



खुद को तुम तैयार करो , फ़ौलादों से टकराना है ||
लाशों पर जो महल खड़े हैं ,उनको आज गिराना है ||




हमने भी सीखे हैं तज़ुर्बे नये-नये ,
सपने से जागकर ,यूँ मुस्कुरा दिया ।।




बहुत हो गया अंधेरों का राज ,अब मार्तंड हँसेगा ।।
कुर्सी पे अब तेरी कोलाहल प्रचंड
हँसेगा।।





पथराई आँखों से वो त्योहार ढूँढ़ता है,
ग़रीब है वो कचरे में अपने उपहार ढूँढ़ता है।।



इक मुहब्बत अपनी और इक तेरी
मिलाते हैं ।
चलो हम इस तरह कुछ ज़िंदगी बनाते हैं ।।




कभी कोई शिकायत हो तो इत्तला कर देना हमें ,
यूँ खामोशी से चले जाना अच्छा नहीं
लगता ।।


अभी हम ढूँढ़ रहे हैं उनको और वो ग़ायब से हैं ,
वादा है कल वो तलाशेंगे हमें और हम नदारद होंगे ।।



बूढ़ी परंपराओं ने जलाये हैं घूरों पर भी
दीये ,
ये नई पीढ़ी है जो
चीनी रोशनी से जगमगा
रही है।


बहुत आसान है …
कानों को ढककर , मुँह को सिलकर
आँखों पे चश्मा चढा लेना…
ज़िंदादिली आजकल बस online होती
है…



वो इसलिए नहीं बिके कि,
उन्हें कोई खरीददार न मिला ।।




ना जाने क्या बात है …
कि लोग भूल जाते हैं हस्ती अपनी ,
तू जरा ऐहतियात बरत …
पँख ताउम्र नहीं रहते ।


एक वक्त से हमें वो तालीम न मिली।
गाँव के आँगन में पुरानी नीम न
मिली।



गुलाबी गांधी की चकाचौंध में
बिखर गईं जिन्दगियाँ कितनी…
काले-काले के शोर ने बहरा बना दिया।।



चारों दीवारें देखीं ,
छत भी देखा…
इस अंधी नगरी का
मगर दरवाज़ा न दिखा…



मैं समझता हूँ…
जिन्हें मोहब्बत की फ़ुर्सत नहीं वो
मोहब्बत के काबिल नहीं…





दिल पे ना लिया कर दुनिया की बात को ||
दीपक बुझाये गये हैं अंधेरी रात को ||





न मोहब्बत का कुछ पता है , न खुशियों की कुछ
खबर ||
या तो बहक गया हूँ , या फ़िर जख्मों का है असर ||



इक तरफ़ रंग है , पिचकारी और गुलाल है ||
इक तरफ़ आँसू है ,चिंता और सवाल है ||



मैं धीर भी ,
अधीर भी…
दरिया न समझे फर्क क्या ?
पत्थरों से तर्क क्या ??
सुर की पवित्र कलकलों में बहता ~~
मैं पवित्र नीर ही…
मैं धीर भी -अधीर
भी…



ये तो चेहरों से मोहब्बत करने का नतीजा है … कि
अश्क मिले
वरना कर्तव्यों और कर्मों से मुहब्बत तो जिन्दगी
भर की जा सकती है…


सब बर्बाद कर गए ।।
इस तरह वो अपने घर गए ।।
हमें रूठने पे मनाया न गया ,अनिल
आख़िर जख्म हमारे अपने आप भर गए ।।


तुम्हारे होठों से निकली दुआओं से ज़िंदा हूँ ||
हवायें पर तोड़ें या उड़ा ले जाएँ मुझे ;
मैं तो हवाओं का ,हवाओं से परिंदा हूँ ||




झिलमिल - झिलमिल बात पर चेहरा किताबी आज
भी है ||
वो जमाना याद कर आँखें शराबी आज भी
हैं ||
दोस्तों ने रंग लगाया था कभी जो गाल पर ,
वो गाल की नाज़ुक त्वचा गुलाबी आज
भी है ||



मंच
कोटिक प्रपंच हैं ,
चारों ओर मंच है ,
मंच है मसान सा ,
झूठे प्रमाण सा ।।




किसी से कुछ कहना भी गुनाह है ||
मैने तन्हाइयों को बहुत कुछ कहते सुना है ||
बिखरे हुए मोती को समेटो तो खुशी
होती है ,
हमने तो रेत से सीपी को चुना है ||


तेरे बिन ये महल श्मसान लगे , घर न लगे !
तन्हा -तन्हा ये शहर सुनसान लगे , शहर न लगे !
यूँ भी कह दो कि मेरे साथ हो तुम ,अनिल
ज़िंदगी का सफ़र आसान लगे , डर न लगे !!



वो बातों को ऐसे हवा करते हैं
कुछ लोग पहले दगा करते हैं
फ़िर दवा करते हैं …



काँटों से फूल बनाये हमने ।।
जीवन के ऐसे उसूल बनाये हमने ।।
चट्टान से घिस माथा पसीने से तरबतर ,
पीस पीस पत्थर धूल बनाए हमने ।।




तारीफें बहुत हुईं कि मिज़ाज ना बदले ||
और मिज़ाज बदले तो वो आज ना बदले ||
लेकिन आज भी बदले और मिज़ाज भी
बदले,
है शुक्र इतना कि जो दिल में थे मेरे वो राज ना बदले ||





#thoughtful_anil

धन्यवाद !!

फिर हँसेंगे मुस्कुराएंगे…

हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेगे - मुस्कुराएँगे ।
इन पेड़ों पे चढ़ के हवाओं को ,
रंग देंगे सारी फिजाओं को ;
ये नदी के पानी में जो ग़म ,
उसमें मोहब्बत घोल देंगे हम ;
जीवन के बिखरे ख्वाब को ,
हम दिल से सजाएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेगें मुस्कुराएंगे ।।
प्यार की चादर ओढ़कर ,
आसमां को हल्का मोड़कर ;
बहती हवा बन यारों संग ,
बाँटेंगे सारे दिल के रंग ;
यारों को सब इक साथ कर ,
रूठों को दिल से मनाएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेंगे मुस्कुराएँगे ।।
सपनों की डोरी थामकर ,
रिश्तों को दिल के नामकर ;
पंछी बने आसमानों में ,
उड़ते फिरेंगे जहानों में ;
दीवारें जो हैं दरमियां ,
उनको पुनः हम गिराएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेंगे मुस्कुराएँगे ।
पत्थर जो बन बन जीती है ,
ज़िंदगी जख्मों को सींती है ;
ज़िंदा है इसमें क्या कसर है ? ,
ये दुआओं का असर है ;
अपना जो कल रो रहा था ,
साथ ले उसको हँसाएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेगे मुस्कुराएँगे ।।
फिर हँसेगे मुस्कुराएँगे…

Missing old friendss…

#thoughtful_anil

Wednesday 26 April 2017

Best Friend


WHO IS YOUR BEST FRIEND ??..

It is a common question that had been asked from childhood. And we all are replying this question in different ways since childhood……

As i am also from you all thats why i am also replying this question…
in childhood we had been given an essay on BEST FRIEND and we all try to write the same lines usually…"my best friend's name is Abc . He is an intelligent student.He play with me . He help me in doing my home work………and so on ". Reality is that we even dont know the meaning of friend . One who plays with us is our friend .
as we grow with the time.our intellectual capacity and understanding of human nature increases. In teens we always try to find our bestie in our surrounding .when our mutual thinking and understanding increases we become friend than best friend.

But time and experiences teaches me this lesson that Nobody is your best friend except your own knowledge , wit and you yourself .Its a bitter and a harsh truth that each friend have some "swarth" in the background of your friendship…

So be a friend of yourself.

BE HAPPY …Be positive

#thoughtful_anil

INSPIRATION

WHERE IS THE INSPIRATION…??

Anyone, including you or me myself can ask this question to me. And what will my answer to you… like other people I can
also negate you but I can't negate myself. It’s very difficult or most of the time seems impossible for me. Then what… Now, I will try out to find the meaning of INSPIRATION, Reason and causes of inspiration, effect of inspiration, and so on…
this all research is based on my own experiences and own wit and own knowledge…… indeed contains my own philosophy and own view of life …… and ends with my own
conclusion… 
          So, it may be full of follies, driven from mistakes. But after all I AM A LEARNER .so I’ll try myself always upgrading. Meaning of INSPIRATION According to me inspiration is a feeling of internal energy which is always based on EXAMPLES, which may be from history, from real
world, or from your own life. This internal energy always force you to do that work, for which you inspire. Like for me this blog writing is an inspiration from real world …the
example from real world force me to be here …and now I am writing… Causes and reason for INSPIRATION There is a reason behind everything in this world. There is a cause of every action. 
          By this philosophy, we'll try to find out the reason and cause… When a person lost his hope, forgot the way he was moving, fails to understand the behavior of
people, fails in career, in despair, means most of the time you need inspiration for sake of your mood. For being Hopeful. Or eliminating the negativity from your life…
sometimes positivity of someone or something can also inspire you to be more positive… like for me its Aditi Saxena's blog Which inspire me to write this blog and this inspiration is totally from her positivity towards life…I feel
proud for her. Effects of INSPIRATION I think there is lots of effect of your inspiration. It'll make you more productive. Your working efficiency increase due to positive energy.
         It will change your life. You feel happy for your inspiration. Lucky for inspirational things… You become more dedicated, more workaholic. like for me… I am really feeling lucky for having an inspiration from real world in present time.
Finally, friends, INSPIRATION is good if you follow it up to your final results. so, try always to be inspired from the examples …
Stay Positive…Get Best Result…
SMILE FOREVER

Monday 24 April 2017

हम बाजार में……




इक उम्र कट गई है तेरे इंतज़ार में ।

पिघल के शम्म बुझ गई दिल की मज़ार में ।

लोग आते रहे - जाते रहे यूँ भीड़भाड़ में ,

अनिल,फिर इक शाम बीत गई लुटते बाजार में ।

#thoughtful_anil
created on 23-04-2017

बदलना होगा…………


सल्तनत बदले तो ठीक है …
राह पे ,
गुनाह पे ,
मेरी आह पे ,
तुम्हारे हमले तो ठीक है…
लेकिन सल्तनत बदले तो ठीक है …
कुछ रंगों को पानी तो दो ,
फूल को रवानी तो दो ,
पत्ती पे कहानी तो दो ,
ये फूल के गमले तो ठीक है …
लेकिन तुम्ही बताओ सल्तनत बदले तो ठीक है…
बदलना होगा ,
पिघलना होगा ,
आखिर तक चलना होगा…
लेकिन कदम आखिर तक सम्हलें तो ठीक है …
अब तो सल्तनत बदले तो ठीक है…||


#thoughtful_anil
created on 22-04-2017

Sunday 23 April 2017

क्या बात हो !!



कि सब हों साथ तो क्या बात हो ।।

फिर रब हो साथ तो क्या बात हो ।।

और ख़ुशी मिले ग़म मिले या कि कोई मौसम ही हो,

आप तब हों साथ तो क्या बात हो ।।

राह पे चलना शुरू कर …




राह पे चलना शुरू कर…
आह पे गलना शुरू कर …
शुरू कर पत्थरों से युद्ध भीषण ,
काल को अवरुद्ध भीषण ,
अवरुद्ध भीषण कर अँधेरा ,
छीन ला तू इक सवेरा ,
इक सवेरा आँख को दे …
और ठंडक राख को दे .
राख को दे रूप इक तू …
कर सहन फ़िर धूप इक तू ,
धूप इक तू फ़िर से दलना शुरू कर…
राह पे चलना शुरू कर !

Thursday 20 April 2017

अश्क क्या शिकवा करेंगे




अश्क क्या शिकवा करेंगे .
खुद से ही खता करेंगें
अब से चुपचाप रहेंगे लब मेरे 
नैन ही तेरी आशिकी का फतवा पड़गें

Wednesday 19 April 2017

लोगों ने मेरे......................................




लोगों ने मेरे चेहरे का अभी तक नक्शा देखा था .

मेरे अश्कों ने 
वो पुराना बक्सा दिखा दिया .

Tuesday 18 April 2017

लोगों ने कहा तू..............................





लोगों ने कहा तू रो रो कर क्यूँ रात गुजारा करता है
क्यूँ शाकी से मुँह धो धो कर जीने का सहारा करता है 
माना कि ''बेगाना" है तू दुनिया के लिए ,
पर हम तो यार हैं , क्यूँ हमसे किनारा करता हैः

#हां_कंश_मैं...

#हां_कंश_मैं.. मैं तुच्छ मैं स्वार्थी मैं घृणापात्र मरघट की राख़ मैं नफ़रत की आंख मैं चोर मैं पापी अघोर मैं लोभी मैं कामी मैं चरित्...