Saturday 11 November 2017

तो घर रौशन हो !

कभी आओ तो घर रौशन हो !
मुस्कुराओ तो घर रौशन हो !
खिलखिलाकर गूँज फ़िज़ा में ,
तुम फैलाओ तो घर रौशन हो !
मुहल्ले को दिखा, छत पे ही
सूरज उगाओ तो घर रौशन हो !
ऑफिस से किसी शाम जल्दी
घर जाओ तो घर रौशन हो !
शोर बहुत है कि थोड़ा तुम
चुप हो जाओ तो घर रौशन हो !


#thoughtful_anil©

Monday 6 November 2017

खाना क्यों पकाया आज ?

क्यों पकाया खाना आज
भूखी बिल्ली भूखा बाज
खाना क्यों पकाया आज
बन्दर के सर पे है ताज
बाकी बातें हैं सब राज
तुम ये बताओ
खाना क्यों पकाया आज
आंधी पानी कूड़ा करकट
सबका अब होगा आगाज़
समझ नहीं आता
तुमने खाना क्यों पकाया आज
लो ! बिजली गुल है धुप्प अँधेरा
अब कीड़ो का हुआ है राज
फिर भी देखो !
तुमने खाना पकाया आज
बन्दर उछला
गिर गया ताज
तुमने खाना बनाया आज
शायद तुमको भी मांगता है ताज
इसीलिये
खाना बनाया आज !!

#thoughtful_anil©

आँखों में ले सब उम्मीदें लोग जीते हैं !

आँखों में ले सब उम्मीदें लोग जीते हैं !
पलकों  के पत्ते देखो ओस से तींते हैं !
मुस्कुराते चेहरों से मिलके तो देखो साब
फिर न कहोगे कभी दिल सारे रीते हैं !
आँख में भरके जहर क्यूँ डराते हो हमको
पानी के जैसे हम तो जहरों को पीते हैं !
अमर तो होते वे सब जो युद्ध करता हैं
फर्क क्या पड़ता इससे हारे कौन जीते हैं !
मेरे साथ अनिल अक्सर ये क्यूँ होता ये
रो रो के क़ातिल मेरे जख्मों को सींते हैं !

#thoughtful_anil©

Thursday 2 November 2017

हम मुसाफिर हैं

हम मुसाफिर हैं कोई न पहचाने तो गिला क्यूँ होगा !
ओस की बूँदें न पहुँची ठिकाने तो गिला क्यूँ होगा !
सुना है वो शख्स तुम्हारे शहर में ठहरा था चार दिन 
 नहीं था मन तुम्हारा तो बताओ वो मिला क्यूँ होगा !
कांटो ने जख्म दे दे के उसका क़त्ल किया था कल 
तुम्ही बताओ वो फूल उन काँटों से मिला क्यूँ होगा !
इक जंजीर के काँटों में सारे फूल पिरो कर मैंने 
फिर से पेड़ को सौपें तो कोई फूल खिला क्यूँ होगा !
चमक के शोर में गुम है अँधेरों की हकीकत 
अंधेरों में कोई सूर्य  क्षितिज में खिला क्यूँ होगा !

#thoughtful_anil

#हां_कंश_मैं...

#हां_कंश_मैं.. मैं तुच्छ मैं स्वार्थी मैं घृणापात्र मरघट की राख़ मैं नफ़रत की आंख मैं चोर मैं पापी अघोर मैं लोभी मैं कामी मैं चरित्...