कुछ विचार करते हैं ,
बिन विचारों के.
शायद सूखा पड़ गया है
बाहर की तरह.…
अंदर भी.
सबकुछ रुखा पड़ गया है
अजीब सी शांति है
इन आधुनिक गाँवो में .
सब पलायन कर गये ……
कुछ भूख मिटाने को
कुछ चार पैसे कमाने को .
सरकारें दोनों तरफ़ खामोश हैं…
तमाशबीन हैं…
तमाशा बन रहा है बनता रहेगा
आपकी खमोशी तक…
खुद की बेहोशी तक…
#thoughtful_anil
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