Sunday 23 April 2017

राह पे चलना शुरू कर …




राह पे चलना शुरू कर…
आह पे गलना शुरू कर …
शुरू कर पत्थरों से युद्ध भीषण ,
काल को अवरुद्ध भीषण ,
अवरुद्ध भीषण कर अँधेरा ,
छीन ला तू इक सवेरा ,
इक सवेरा आँख को दे …
और ठंडक राख को दे .
राख को दे रूप इक तू …
कर सहन फ़िर धूप इक तू ,
धूप इक तू फ़िर से दलना शुरू कर…
राह पे चलना शुरू कर !

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