Thursday 27 April 2017

फिर हँसेंगे मुस्कुराएंगे…

हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेगे - मुस्कुराएँगे ।
इन पेड़ों पे चढ़ के हवाओं को ,
रंग देंगे सारी फिजाओं को ;
ये नदी के पानी में जो ग़म ,
उसमें मोहब्बत घोल देंगे हम ;
जीवन के बिखरे ख्वाब को ,
हम दिल से सजाएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेगें मुस्कुराएंगे ।।
प्यार की चादर ओढ़कर ,
आसमां को हल्का मोड़कर ;
बहती हवा बन यारों संग ,
बाँटेंगे सारे दिल के रंग ;
यारों को सब इक साथ कर ,
रूठों को दिल से मनाएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेंगे मुस्कुराएँगे ।।
सपनों की डोरी थामकर ,
रिश्तों को दिल के नामकर ;
पंछी बने आसमानों में ,
उड़ते फिरेंगे जहानों में ;
दीवारें जो हैं दरमियां ,
उनको पुनः हम गिराएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेंगे मुस्कुराएँगे ।
पत्थर जो बन बन जीती है ,
ज़िंदगी जख्मों को सींती है ;
ज़िंदा है इसमें क्या कसर है ? ,
ये दुआओं का असर है ;
अपना जो कल रो रहा था ,
साथ ले उसको हँसाएँगे ।
हम बीते कल को बुलाएँगे ,
फिर हँसेगे मुस्कुराएँगे ।।
फिर हँसेगे मुस्कुराएँगे…

Missing old friendss…

#thoughtful_anil

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