Monday 14 August 2017

अज़नबी राहें

अज़नबी हो गई ,
राहें  हमारी ,
कल  तक साथ थे !
बेवजह ही सही
हाथों में हाथ थे...
अब क्या हुआ जो अलहदा हो गए !
बिन बुलाये ही दिल ग़मज़दा हो गए !
कुछ  लब न कहें तो ;
ख़ामोशी का अम्बार लगा देना ,
सोया हुआ संसार जगा  देना ,
बहाव तेज़ होता जा रहा है, 
सब बहता जा रहा है !!
ख्वाब कुछ आधे अधूरे,
तेरे बिन होंगे न पूरे,
तुझको तो आना पड़ेगा
यूँ समझ न ज़िंदगी को
ख़ाली बाँहों में हमारी  ...
अजनबी हो गई ,
राहें हमारी !! बाँहें हमारी !!


#thoughtful_anil

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