इक उम्र कट गई है तेरे इंतज़ार में ।
पिघल के शम्म बुझ गई दिल की मज़ार में ।
लोग आते रहे - जाते रहे यूँ भीड़भाड़ में ,
अनिल,फिर इक शाम बीत गई लुटते बाजार में ।
#thoughtful_anil
created on 23-04-2017
#हां_कंश_मैं.. मैं तुच्छ मैं स्वार्थी मैं घृणापात्र मरघट की राख़ मैं नफ़रत की आंख मैं चोर मैं पापी अघोर मैं लोभी मैं कामी मैं चरित्...
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