Friday 28 April 2017

हकीकत…


चंद ख्वाब लेके निकला था
सफ़र में ,
हक़ीक़त ने आसमां को,
बंजर बना दिया ।
फूलों को तीखा -बहुत तीखा,
खंजर बना दिया।
फूल रोते रहे …रोते रहे
हम तुम सोते रहे …सोते रहे …
खेद इसका नहीं,
कि क्या खो गया …
है इसका …
ज़माने को क्या हो गया ,
साथ मेरे रहीं…
दर्द मुझसे कहीं…
सिसकियाँ उसकी
हिचकियाँ उसकी
वो खिलखिलाहट का महल ,
जो ढह सा गया …
हर आँसू…
जो चुपचाप बह सा गया…
बेशरम ,हिसाब तुझे देना ही होगा …
हिसाब!!! हिसाब!!! हिसाब!!!

#thoughtful_anil

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