Monday 6 November 2017

आँखों में ले सब उम्मीदें लोग जीते हैं !

आँखों में ले सब उम्मीदें लोग जीते हैं !
पलकों  के पत्ते देखो ओस से तींते हैं !
मुस्कुराते चेहरों से मिलके तो देखो साब
फिर न कहोगे कभी दिल सारे रीते हैं !
आँख में भरके जहर क्यूँ डराते हो हमको
पानी के जैसे हम तो जहरों को पीते हैं !
अमर तो होते वे सब जो युद्ध करता हैं
फर्क क्या पड़ता इससे हारे कौन जीते हैं !
मेरे साथ अनिल अक्सर ये क्यूँ होता ये
रो रो के क़ातिल मेरे जख्मों को सींते हैं !

#thoughtful_anil©

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