Saturday 1 September 2018

शर्म का त्योहार !!

होगा अँधेरा तो सियार  जागेंगे
और उनके साथ जागेगा अँधेरा
हमारी सभ्यता  का
फिर घटेगी एक बीभत्स घटना
दहल उठेगी रात
भयंकर चीखों से
और सुबह तक पुत जायेगी
सियाही हमारे चेहरों पर
निकालेंगे कैंडल मार्च
मनाएंगे शोक , दिखाएंगे प्रतिरोध
भर जायेगी सभी सोशल साइट्स
हमदर्दी के शब्दों से
तब दिखेगा हर लड़का सियार
एक बदहाल मां को
कुछ कोसेंगे बदलते परिवेश को
कुछ देश को
बाकि किसी विशेष को ,
कुछ दिन किसी त्यौहार की तरह
मनाया जायेगा यह शोक
सभ्यता के मरने का और
फिर भूल जायेंगे सबकुछ
जैसे कुछ भी तो हुआ ही नहीं
और खो जायेंगे , सो जायेंगे
अखबार की अगली हैडिंग तक
जिसमें लिखा होगा वही
" बीती रात सभ्यता हुई शर्मसार  "
और फिर चल पड़ेगा वही चक्र....कुचक्र !!

#thoughtful_anil

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