Friday 6 April 2018

खुल कर हँस आवारा...

कल का पता किसे है यारो 
आज की खबर किसे है
जीना उसको ही आया है
बेफिक्री  बसर जिसे है
कौन रोये इस दुनिया में
जब कुछ भी नहीं हमारा
आकर गले लगा ले फकीरी
खुल कर हँस आवारा
राही ठहरा जीवन अपना
चलते ही जाना है
रोना हँसना चार दिनों का
फिर वापस जाना है
इसी ख़ुशी में हँसो अनिल 
हँसना अच्छा होता है
इसी हँसी के लिए तो इंसान
अक्सर आँसू ढोता है

-अनिल पटेरिया 

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